डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिए दृष्टिकोण और कार्यप्रणाली हैं:
मंत्रालय/विभाग/राज्य भारत सरकार द्वारा स्थापित सामान्य और सहायक आईसीटी अवसंरचना का पूरी तरह से लाभ उठाएंगे।
- मंत्रालय/विभाग/राज्य भारत सरकार द्वारा स्थापित सामान्य और सहायक आईसीटी अवसंरचना का पूरी तरह से लाभ उठाएंगे। डीईआईटीवाई मानकों और नीतिगत दिशा-निर्देशों को भी विकसित / निर्धारित करेगा, तकनीकी और हैंडहोल्डिंग सहायता प्रदान करेगा, क्षमता निर्माण और अनुसंधान एवं विकास आदि का कार्य करेगा।
- मौजूदा/चल रही ई-गवर्नेंस पहलों को डिजिटल इंडिया के सिद्धांतों के साथ संरेखित करने के लिए उपयुक्त रूप से संशोधित किया जाएगा। नागरिकों को सरकारी सेवाओं के वितरण को बढ़ाने के लिए कार्यक्षेत्र में वृद्धि, प्रक्रिया पुनर्रचना, एकीकृत और अंतःप्रचालनीय प्रणालियों का उपयोग और क्लाउड और मोबाइल जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों की तैनाती की जाएगी।
- राज्यों को अतिरिक्त राज्य-विशिष्ट परियोजनाओं को शामिल करने की पहचान करने के लिए लचीलापन दिया जाएगा, जो उनकी सामाजिक-आर्थिक जरूरतों के लिए प्रासंगिक हैं।
- विकेन्द्रीकृत कार्यान्वयन मॉडल को अपनाते हुए नागरिक-केंद्रित सेवा अभिविन्यास, विभिन्न ई-शासन अनुप्रयोगों की अंतर्संचालनीयता और आईसीटी अवसंरचना/संसाधनों के इष्टतम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सीमा तक एक केंद्रीकृत पहल के माध्यम से ई-गवर्नेंस को बढ़ावा दिया जाएगा।
- सफलताओं की पहचान की जाएगी और जहां कहीं भी आवश्यक होगा, आवश्यक उत्पादीकरण और अनुकूलन के साथ उनकी प्रतिकृति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाएगा।
- पर्याप्त प्रबंधन और रणनीतिक नियंत्रण के साथ ई-गवर्नेंस परियोजनाओं को लागू करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी को प्राथमिकता दी जाएगी।
- पहचान, प्रमाणीकरण और लाभों के वितरण की सुविधा के लिए विशिष्ट आईडी को अपनाने को बढ़ावा दिया जाएगा।
- केंद्र और राज्य स्तर पर सभी सरकारी विभागों को आईटी समर्थन को मजबूत करने के लिए एनआईसी का पुनर्गठन किया जाएगा।