डिजिटल इंडिया भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने की दृष्टि से भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है।
भारत में ई-गवर्नेंस पहलों ने नागरिक केंद्रित सेवाओं पर जोर देने के साथ व्यापक क्षेत्रीय अनुप्रयोगों के लिए 1990 के दशक के मध्य में एक व्यापक आयाम लिया। सरकार की प्रमुख आईसीटी पहलों में अन्य बातों के साथ-साथ रेलवे कम्प्यूटरीकरण, भूमि अभिलेख कम्प्यूटरीकरण आदि जैसी कुछ प्रमुख परियोजनाएं शामिल हैं, जो मुख्य रूप से सूचना प्रणाली के विकास पर केंद्रित हैं। बाद में कई राज्यों ने नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से महत्वाकांक्षी व्यक्तिगत ई-गवर्नेंस परियोजनाएं शुरू कीं।
हालांकि ये ई-गवर्नेंस परियोजनाएं नागरिक केंद्रित थीं, लेकिन वे अपनी सीमित विशेषताओं के कारण वांछित प्रभाव से कम कर सकती थीं। अलग-थलग और कम संवादात्मक प्रणालियों ने प्रमुख अंतरालों को प्रकट किया जो शासन के पूरे स्पेक्ट्रम के साथ ई-गवर्नेंस के सफल अंगीकरण को विफल कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट रूप से एक अधिक व्यापक योजना और कार्यान्वयन की आवश्यकता की ओर इशारा किया, जिसमें आवश्यक बुनियादी ढांचे, अंतर-संचालन के मुद्दों को संबोधित किया जाना आदि, एक अधिक जुड़ी हुई सरकार की स्थापना के लिए आवश्यक है।
ई-क्रांति : राष्ट्रीय ई-शासन योजना 2.0
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (एनईजीपी) नामक राष्ट्रीय स्तर के ई-गवर्नेंस कार्यक्रम को 2006 में शुरू किया गया था। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के तहत 31 मिशन मोड परियोजनाएं थीं, जिनमें डोमेन की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल थी। कृषि, भूमि अभिलेख, स्वास्थ्य, शिक्षा, पासपोर्ट, पुलिस, अदालतें, नगर पालिकाएं, वाणिज्यिक कर और कोषागार आदि। 24 मिशन मोड परियोजनाएं लागू की गई हैं और परिकल्पित सेवाओं की पूर्ण या आंशिक श्रेणी को वितरित करना शुरू कर दिया है।
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना में कमियों को ध्यान में रखते हुए जिसमें सरकारी अनुप्रयोगों और डेटाबेस के बीच एकीकरण की कमी, सरकारी प्रक्रिया री-इंजीनियरिंग की निम्न डिग्री, मोबाइल और क्लाउड जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की गुंजाइश शामिल है, भारत सरकार ने ई-क्रांति कार्यक्रम को मंजूरी दी "शासन को बदलने के लिए ई-गवर्नेंस को बदलना" की दृष्टि से।
सभी नई और चल रही ई-गवर्नेंस परियोजनाओं के साथ-साथ मौजूदा परियोजनाएं, जिन्हें पुर्नोत्थान किया जा रहा है, को अब ई-क्रांति के प्रमुख सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, जैसे 'रूपांतरण और अनुवाद नहीं', 'एकीकृत सेवाएं और व्यक्तिगत सेवाएं नहीं', 'सरकारी प्रक्रिया पुनर्रचना' ( जीपीआर) हर एमएमपी', 'आईसीटी इंफ्रास्ट्रक्चर ऑन डिमांड', 'क्लाउड बाय डिफॉल्ट', 'मोबाइल फर्स्ट', 'फास्ट ट्रैकिंग अप्रूवल', 'मैन्डेटिंग स्टैंडर्ड्स एंड प्रोटोकॉल्स', 'लैंग्वेज लोकलाइजेशन', 'नेशनल जीआईएस ( भू-स्थानिक सूचना प्रणाली)', 'सुरक्षा और इलेक्ट्रॉनिक डेटा संरक्षण'।
मिशन मोड प्रोजेक्ट्स का पोर्टफोलियो 31 से बढ़कर 44 एमएमपी हो गया है। ई-क्रांति के तहत कई नई सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाओं जैसे महिला और बाल विकास, सामाजिक लाभ, वित्तीय समावेशन, शहरी शासन ईभाषा आदि को नए एमएमपी के रूप में जोड़ा गया है।